बुधवार, 25 जुलाई 2012

चन्द्र पर्वत


चंद्र पर्वत शुक्र पर्वत के नीचे स्थित होता है, सौन्दर्यप्रियता, आदर्शवादी, साहित्य, काव्य, और मानसिक तनाव का कारक ग्रह है, या हम ये भी कह सकते हैं कि यह पर्वत मन का कारक है कल्पना इसकी प्रिय साथी है, कोमलता, भावुकता, प्रकृति के प्रति लगाव आदि स्वाभाविक गुण होते है, यह अपनी ही दुनिया में मस्त रहतें हैं , यदि चंद्र पर्वत हाँथ में अच्छा उभार लिए है और अपने स्थान पर है तो ऐसा व्यक्ति प्रकृति- प्रेमी होगा, ऐसा व्यक्ति जीवन में कभी किसी को धोखा नहीं दे सकता, संसार के छल- धोखेबाजी, जलन, नफरत , आदि से कोसों दूर रहता है, ऐसे व्यक्ति प्रसिद्ध साहित्यकार, कलाकार, संगीत के जानकार होते है, ऐसा व्यक्ति मिलनसार और स्वतंत्र रूप से विचार करने में समर्थ होता  है, एवं धार्मिक प्रवत्ति का होता  है .

शुक्र पर्वत





अंगूठे के दूसरे पर्व के नीचे तथा जीवन रेखा से घिरा हुआ स्थान शुक्र पर्वत का स्थान कहलाता है, शुक्र में स्वास्थ्य, सौन्दर्यप्रियता, विलासिता, कामवासना, संतान उत्पादन शक्ति, आदि गुण होते है, जिनके हाथ में शुक्र पर्वत उभार लिए हुए होता है वह व्यक्ति निश्चय ही दिखने में आकर्षक व्यक्तित्व का होगा , धैर्य और साहस प्रबल रूप से होता है, यदि किसी हाथ में शुक्र पर्वत बिल्कुल हीन अवस्था में हो तो वह व्यक्ति संसार या समाज से कोई मतलब ना रखने वाला ,दया आदि की भावना से हीन होता है और घर- बार छोड़कर सन्यास ले लेता है, किन्तु यह पर्वत कम विकसित होता है अर्थात सामान्य से कम की अवस्था में  तो उस व्यक्ति में साहस और उत्साह की कमी  होगी, गृहस्थ जीवन में उसकी रूचि नहीं रहती है और लापरवाही का जीवन ही जीता है उसे घर या समाज की भी कोई विशेष चिंता या फ़िक्र नहीं होती  है .

सोमवार, 23 जुलाई 2012

सम्पन्नता दायक गोरख साबर मन्त्र


गोरख शाबर  - गोरख जी का ये साबर मंत्र समस्त प्रकार की सुख सम्पन्नता एवं आत्मिक शांति को प्रदान करने वाला है ,इस मंत्र का नियमित जप करने से जप कर्ता को एक विशेष प्रकार की शांति का अनुभव तो होता ही है साथ ही साथ आर्थिक, पारिवारिक आदि बाधाएं भी कुछ दिनों में स्वतः ही समाप्त हो जाती है ,अत्यंत अनुभूत एवं लाभदायक मंत्र है ,नीचे लिखे मंत्र का रोजाना २१,२७,५१,अथवा सामर्थ्य अनुसार विषम संख्या में जप करने से उपरोक्त लाभ कुछ दिन में ही मिलने शुरू हो जाते हैं 

हनुमान जी का सर्व भय हरण साबर मंत्र




आज प्रत्येक मनुष्य चाहे वो अमीर हो या गरीब ,किसी न किसी समस्या व् परेशानी से जरूर ग्रसित है .प्राचीन काल से ही दैनिक व आर्थिक जीवन की परेशानियो के लिए ईश्वर की आराधना व विभिन्न प्रकार की क्रिया व
कर्मकांड किये जाते रहे हैं ,जिनमें शाबर मंत्रो का विशेष प्रभाव रहा है मैंने खुद भी अपने जीवन काल में कई व्यक्तियों को इन शाबर मंत्रो से कई तरह की परेशानियों से छुटकारा दिलवाया है ,इन मंत्रो के जाप में कोई विशेष अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि ये मंत्र अपने आप में ही स्वयं सिद्ध होतें हैं.
यदि रोजाना कुछ समय के लिए एक निश्चित संख्या में इन मन्त्रों का जप किया जाये तो इसके परिणाम खुद ही सामने आने लगते हैं .जनकल्याणार्थ हेतु कुछ शाबर मन्त्र लिख रहा हूँ जिनका लाभ आप भी उठायें एवं दूसरों को भी इन मंत्रो से लाभान्वित करें

मंगल पर्वत




मंगल के दो क्षेत्र होते है, उनको उच्च मंगल तथा निम्न मंगल कहा जाता है, उच्च मंगल चंद्र और बुध पर्वत के मध्य में होता है, दूसरा स्थान जीवन रेखा के प्रारंभिक स्थान और शुक्र पर्वत के मध्य तक होता है .
मंगल के  मुख्य  गुण साहस,बल,युद्ध व निडरता आदि है, मंगल प्रधान व्यक्ति साहसी, निडर व हष्ट -पुष्ट शरीर के मालिक होतें हैं , ये किसी से दबकर या डरकर रह ही नहीं सकते ,जिनका मंगल हथेली में प्रधान हो तो ऐसे व्यक्तिओं को प्रेम से ही वश में किया जा सकता है जोर व जबर्दस्ती से नहीं, ऐसे व्यक्ति शारीरिक रूप से हृष्ट- पुष्ट व लंबे-चौड़े होते है स्वभाव में शासन करने की प्रवृति के कारण तानाशाह तक बन जाते है, यह व्यक्ति  अन्याय होते सहन नहीं कर सकते, प्रायः ऐसे व्यक्ति सेना व पुलिस विभाग के उच्च पदों पर होते है इनमे आत्मविश्वास, दृढ़ता  जैसे गुण विद्दमान रहते है, 

रविवार, 22 जुलाई 2012

बुध पर्वत




यह पर्वत कनिष्ठिका अंगुली के नीचे होता है, इसका  हस्त रेखा विज्ञान में इसलिए महत्व है क्योकि यह भौतिक समृद्धि एवं सम्पन्नता से आंका जाता है, बुध प्रधान व्यक्ति का कद लम्बाई में अन्य की अपेक्षा कम होता है, किन्तु ये जिस कार्य को प्रारम्भ करते है, उसे पूर्ण करके मानते है ऐसे व्यक्ति बहुत से तरीकों से पैसा कमाना जानते है, मानसिक श्रम , जासूस , श्रेष्ठ वक्ता, परिस्थितियो से समझौता करने वाले, योजनाबद्ध जीवन-यापन करने वाले तथा विनोदी स्वभाव के होते है, व्यापारिक क्षेत्र में ये विशेष सफलता प्राप्त करते है.
जिन हथेलियो में बुध पर्वत सही रूप से विकसित होता है, वे व्यक्ति श्रेष्ठ मनोवैज्ञानिक और व्यवहार कुशल होते है सामने वाले व्यक्ति को प्रभावित करके अपना काम करवाने की इनमें क्षमता होती है, ये सदैव अवसर की खोज में रहते है और समय पर अपना कार्य पूर्ण करने में नहीं चूकते है, ऐसा व्यक्ति चालक एवं चतुर होता है, व्यापारिक कार्यों में श्रेष्ठ व्यापारी, वकील, चिकित्सक,पत्रकार तथा नेता होते है, जिन हथेलियो में बुध पर्वत अत्यंत उभरा हुआ हो, वह धन-संचय करने में लगे रहते है, धन के पीछे पागल रहते है, भले ही उसके लिए उन्हें जघन्य अपराध करने पड़े, जिन हथेलियो में बुध पर्वत सामान्य उठा हुआ होता है, वे पूर्ण भौतिकवादी होते है, ये लोग भी उचित- अनुचित साधनों से धन- संग्रह करते है, ऐसे व्यक्ति समाज में अपना विद्वतापूर्ण एवं धार्मिक रूप दर्शाते है, गणित, विज्ञान,दर्शन,वकालत आदि इनके प्रिय विषय होते है, ये जीवन में श्रेष्ठ वकील, डाक्टर, अभिनेता, व्यापारी और लेखक होते है, लेखन के क्षेत्र में अच्छी सफलता प्राप्त करते है, प्रेम के क्षेत्र में भी ये लोग व्यावहारिक सम्बन्ध ही रखते है, इनके प्रेम में गांभीर्य नहीं होता है, स्वार्थ और धूर्तता अधिक होती है, इनके सम्बन्ध वासनात्मक ही होते है, मानसिक और भावनात्मक नहीं होते हैं.

सूर्य पर्वत





यह अनामिका अंगुली के बीच में होता है, यह शनि पर्वत और बुध पर्वत के मध्य होता है, इस पर्वत के उभार लिए होने से मनुष्य में उत्साह एवं सौन्दर्यप्रियता होती है, भले ही वह व्यक्ति कलाकार या संगीत-प्रेमी न हो, फिर भी उसकी रूचि संगीत और कला में होती है, यह पर्वत मनुष्य की सफलता का सूचक है, यदि यह पर्वत अनुपस्थित है तो वह व्यक्ति साधारण जीवन व्यतीत करने के लिए बाध्य होता है, पर्वत का विकास मनुष्य को निश्चय ही उच्च पदों पर ले जाता है, इस पर्वत का होना नितांत आवश्यक है क्योकि यश, मान, प्रतिष्ठा, सफलता, प्रेम इसी पर निर्भर करता है.



सोमवार, 16 जुलाई 2012

पंचमुखी हनुमानजी


शास्त्रो विधान से हनुमानजी का पूजन और साधना विभिन्न रुप से किये जा सकते हैं।
हनुमानजी का एकमुखी,पंचमुखीऔर एकादश मुखीस्वरूप के साथ हनुमानजी का बाल हनुमान, भक्त हनुमान, वीर हनुमान, दास हनुमान, योगी हनुमान आदि प्रसिद्ध है। किंतु शास्त्रों में श्री हनुमान के ऐसे चमत्कारिक स्वरूप और चरित्र की भक्ति का महत्व बताया गया है, जिससे भक्त को बेजोड़ शक्तियां प्राप्त होती है। श्री हनुमान का यह रूप है – पंचमुखी हनुमान
मान्यता के अनुशार पंचमुखीहनुमान का अवतार भक्तों का कल्याण करने के लिए हुआ हैं, हनुमान के पांच मुख क्रमश:पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और ऊ‌र्ध्व दिशा में प्रतिष्ठित हैं.
पंचमुखीहनुमानजी का अवतार मार्गशीर्ष कृष्णाष्टमी को माना जाता हैं. रुद्र के अवतार हनुमान ऊर्जा के प्रतीक माने जाते हैं इसकी आराधना से बल, कीर्ति, आरोग्य और निर्भीकता बढती है.
रामायण के अनुसार श्री हनुमान का विराट स्वरूप पांच मुख पांच दिशाओं में हैं। हर रूप एक मुख वाला, त्रिनेत्रधारी यानि तीन आंखों और दो भुजाओं वाला है। यह पांच मुख नरसिंह, गरुड, अश्व, वानर और वराह रूप है। हनुमान के पांच मुख क्रमश:पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और ऊ‌र्ध्व दिशा में प्रतिष्ठित माने गएं हैं.
पंचमुख हनुमान के पूर्व की ओर का मुख वानर का हैं। जिसकी प्रभा करोडों सूर्यो के तेज समान हैं। पूर्व मुख वाले हनुमान का पूजन करने से समस्त शत्रुओं का नाश हो जाता है.
पश्चिम दिशा वाला मुख गरुड का हैं। जो भक्तिप्रद, संकट, विघ्न-बाधा निवारक माने जाते हैं। गरुड की तरह हनुमानजी भी अजर-अमर माने जाते हैं.

शुक्रवार, 13 जुलाई 2012

शनि पर्वत

               
शनि  पर्वत का मूल स्थान मध्यमा अंगुली के मूल में स्थित होता है, हथेली में इसका उभरापन असाधारण प्रवृतियों का सूचक है, इसके स्वाभाविक गुण एकांतप्रियता, तांत्रिक या गुप्त विद्याओ में रूचि, गंभीर, संगीतप्रिय, दुखांत साहित्य, दुखांत संगीत, जासूसी साहित्य पढ़ना आदि है,
     हथेली में इस पर्वत का न होना असफलता का सूचक है,क्योकि मध्यमा अंगुली भाग्य की सूचक है भाग्य रेखा इस पर्वत पर आकर समाप्त होती है इस कारण से शनि पर्वत का विशेष महत्व है, यदि शनि पर्वत पूरी हथेली में सबसे अधिक उभार लिए है तो वह व्यक्ति प्रबल भाग्यवादी होगा .
   यदि शनि पर्वत उभार लिए हुये है और किसी भी पर्वत की ओर झुका हुआ नहीं है तो ऐसा व्यक्ति एकांतप्रिय होता है, वह व्यक्ति लक्ष्य-प्राप्ति में लीन रहता है उसे समाज व घर की चिंता नहीं रहती , यहाँ तक कि वह घर में स्त्री व बच्चो तक कि चिंता नहीं करता.
 

बुधवार, 11 जुलाई 2012

मस्तिष्क रेखा


यदि किसी जातक के बायें हाथ में   मस्तिष्क रेखा बिल्कुल हल्की या क्षीण हो और दाहिने हाथ में बलवान और स्पष्ट हो तो यह समझना चाहिए कि जातक की  मानसिक प्रवृतियों के विकास में उसके माता-पिता किसी का भी प्रभाव नहीं पड़ रहा है, और स्वंय  ही उसने उनको विकसित किया है, ऐसा योग उन लोगो के हाथो में पाया जाता है जो स्वयं अपने परिश्रम से अपनी उन्नति करते है
  यदि दाहिने हाथ में मस्तिष्क रेखा बायें हाथ के मुकाबले क्षीण या निर्बल हो, तो यह समझना चाहिए कि जातक ने अपने मानसिक विकास के अवसरों से लाभ नहीं उठाया और वह अपने माता-पिता कि मानसिक क्षमता की बराबरी न तो करता है, न कभी कर सकता है, ऐसा व्यक्ति चाहे स्वभाव से हठी क्यों न हो, किन्तु उसमे इच्छा- शक्ति की कमी होती है, वह हठी होगा या नहीं,यह अगूठे के प्रथम पर्व(जिस पर नाखून स्थित होता है ) की बनावट से जाना जा सकता है .अगर नाखून का प्रथम पर्व अपने सामान्य की अपेक्षा बड़े आकार में होगा तो हठ एवं जिद्दीपन की प्रवत्ति जातक में विशेष रूप से पायी जाती है

बृहस्पति पर्वत का महत्व







यह पर्वत तर्जनी उंगली के नीचे स्थित होता है ,ब्रहस्पति पर्वत के अत्यधिक विकसित होने पर जातक महत्वाकांक्षी और नेतृत्व गुणों से युक्त होता है , वह दूसरों को  प्रभावित करने में अत्यधिक उत्सुक होता है जिसके कारण वह राजनीति क्षेत्र में आगे होता है , इस तरह के जातको का स्वभाव आदेशात्मक एवं धार्मिक  होता है ,ये प्रायः राजनीति के अलावा सेना, उच्च प्रबंधन, अथवा किसी संगठन में उच्च पद पर आसीन होते है
  इस पर्वत पर सितारा,त्रिकोण एवं त्रिशूल आदि के चिन्ह ब्रहस्पति पर्वत के लिए शुभ व लाभदायक माने जाते है किन्तु यदि इस पर्वत पर रेखाओं का जाल ,गुणक चिन्ह ,धब्बा ,द्वीप आदि के चिन्ह इस पर्वत के लिए अशुभ माने जाते है , अगर  दायें हाथ में ये पर्वत अन्य पर्वतों से अधिक उभार लिए हो तो जातक पर इस पर्वत का अत्यधिक प्रभाव होता है ,और वह बृहस्पति  प्रधान  जातक माना जायेगा. बृहस्पति प्रधान जातक प्रायः मध्यम कद अथवा ऊँचाई का होगा, बृहस्पति प्रधान जातक में महत्वाकांक्षा की भावनाएं प्रबल होती है, यहाँ