आँखे ही किसी मनुष्य के विचार , सोंच ,एवं भावनाओं की माध्यम होती हैं ,कई बार हम खुद भी महसूस करतें हैं की अमुक व्यक्ति से मिलने पर एक अजीब तरह का आकर्षण अनुभव हुआ या किसी व्यक्ति से मिलने पर मन में अजीब सी तरंग जाग्रत हो उठी .इस सबमें व्यक्ति के व्यक्तित्व का कोई योगदान नहीं होता ,ये सब उसकी आँखों से निकली हुई तरंगे होती हैं जिन्हें हम आकर्षण या सम्मोहन की संज्ञा देतें हैं .ये आकर्षण सभी प्राप्त कर सकते हैं जिसे साधना की भाषा में त्राटक क्रिया कहा जाता है , इस क्रिया के द्वारा मन की एकाग्रता, वाणी का प्रभाव व दृष्टि मात्र से उपासक अपने संकल्प को पूर्ण कर लेता है। इससे विचारों का संप्रेषण, दूसरे के मनोभावों को ज्ञात करना, सम्मोहन, आकर्षण, अदृश्य वस्तु को देखना, दूरस्थ दृश्यों को जाना जा सकता है. प्रबल इच्छाशक्ति से साधना करने पर सिद्धियाँ स्वयमेव आ जाती हैं। तप में मन की एकाग्रता को प्राप्त करने की अनेकानेक पद्धतियाँ योग शास्त्र में निहित हैं, इनमें 'त्राटक' उपासना सर्वोपरि है. हठयोग में इसको दिव्य साधना से संबोधित करते हैं,त्राटक के द्वारा मन की एकाग्रता, वाणी का प्रभाव व दृष्टि मात्र से उपासक अपने संकल्प को पूर्ण कर लेता है.