गुरुवार, 9 अगस्त 2012

आकर्षण के लिए त्राटक साधना

आँखे ही किसी मनुष्य के विचार , सोंच ,एवं भावनाओं की माध्यम होती हैं ,कई बार हम खुद भी महसूस करतें हैं की अमुक व्यक्ति से मिलने पर एक अजीब तरह का आकर्षण अनुभव हुआ या किसी व्यक्ति से मिलने पर मन में अजीब सी तरंग जाग्रत हो उठी .इस सबमें व्यक्ति के  व्यक्तित्व का कोई योगदान नहीं होता ,ये सब उसकी आँखों से निकली हुई तरंगे होती हैं जिन्हें हम आकर्षण या सम्मोहन की संज्ञा देतें हैं .ये आकर्षण सभी प्राप्त कर सकते हैं जिसे साधना की भाषा में त्राटक क्रिया कहा जाता है , इस क्रिया   के द्वारा मन की एकाग्रता, वाणी का प्रभाव व दृष्टि मात्र से उपासक अपने संकल्प को पूर्ण कर लेता है। इससे विचारों का संप्रेषण, दूसरे के मनोभावों को ज्ञात करना, सम्मोहन, आकर्षण, अदृश्य वस्तु को देखना, दूरस्थ दृश्यों को जाना जा सकता है. प्रबल इच्छाशक्ति से साधना करने पर सिद्धियाँ स्वयमेव आ जाती हैं। तप में मन की एकाग्रता को प्राप्त करने की अनेकानेक पद्धतियाँ योग शास्त्र में निहित हैं, इनमें 'त्राटक' उपासना सर्वोपरि है. हठयोग में इसको दिव्य साधना से संबोधित करते हैं,त्राटक के द्वारा मन की एकाग्रता, वाणी का प्रभाव व दृष्टि मात्र से उपासक अपने संकल्प को पूर्ण कर लेता है.

शनिवार, 4 अगस्त 2012

ह्रदय रेखा


  

ह्रदय रेखा हाँथ में उपस्थित सबसे पहली रेखा है जो उंगलियों को (बुध से ले कर गुरु पर्वत ) घेरे रहती है .हस्त रेखा में इस रेखा का महत्वपूर्ण स्थान होता है ,इस रेखा के द्वारा हम व्यक्ति के प्रेम की भावनाओं एवं उसकी उदारता का पता लगातें है,ये रेखा हमें ये बताती है की व्यक्ति के ह्रदय की प्रकृति कैसी है .व्यक्ति कठोर ह्रदय का है अथवा सरल ,व्यक्ति में महत्वाकांक्षा है कि नहीं आदि बातों को हम ह्रदय रेखा के माध्यम से पता लगातें हैं .इस रेखा का आरम्भ स्थान विभिन्न उँगलियों के नीचे से हो सकता है .मैं यहाँ पर आपको ह्रदय रेखा के कुछ तथ्यों कि जानकारी देता हूँ