सावन के इस पावन पर्व पर भक्त अपने - अपने तरीकों एवं विभन्न प्रकार के मन्त्र उच्चारण से सदाशिव को प्रसन्न करते हैं ,इसी क्रम में आज मै अपने साधकों को अमोघ शिव कवच की जानकारी देता हूँ ।
अमोघ शिव कवच की महानता के बारे में जितना लिखा जाए कम है ,क्योंकि इस महान एवं अति शीघ्र फल प्रदान करने वाले कवच की महानता का कोई दूसरा सार ही नहीं है ,समस्त प्रकार के शारीरिक ,मानसिक ,आर्थिक एवं सामाजिक कष्टों से मुक्ति दिलाने में ये कवच अपना महान प्रभाव रखता है।
कवच का अर्थ होता है सुरक्षा, अर्थात जिस प्रकार सदियों पहले योद्धा एवं राजा युद्ध भूमि में जाने से पहले अपने शरीर की सुरक्षा हेतु लौह कवच धारण करते थे ,ठीक उसी प्रकार हमारे ऋषि - मुनि भी अपने आपको सांसारिक कष्टों एवं दैहिक ,दैविक एवं भौतिक सभी प्रकार की व्याधियों से खुद को सुरक्षित रखने के लिए इन मान्त्रिक कवचों की रचना किया करते थे ,जो युगों -युगों से प्रत्येक मानव सभ्यता के लिए उपयोगी सिद्ध होते आयें है ।
इस अमोघ शिव कवच का नियमित पाठ करने वाले उपासक को अकाल मृत्यु , बीमारी ,कोर्ट कचहरी ,एवं भयानक से भी भयानक विपत्तियों का कोई असर नहीं होता, ऐसा मेरा खुद का अनुभव रहा है ।
इस कवच का पाठ करने वाले साधक के शरीर के आस - पास एक सुरक्षा घेरा सा बना रहता हैं जिससे किसी भी तरह की नकारात्मक शक्तियों का असर साधक या साधक के परिवार पर कदापि नहीं होता ।
अमोघ शिव कवच की महानता के बारे में जितना लिखा जाए कम है ,क्योंकि इस महान एवं अति शीघ्र फल प्रदान करने वाले कवच की महानता का कोई दूसरा सार ही नहीं है ,समस्त प्रकार के शारीरिक ,मानसिक ,आर्थिक एवं सामाजिक कष्टों से मुक्ति दिलाने में ये कवच अपना महान प्रभाव रखता है।
कवच का अर्थ होता है सुरक्षा, अर्थात जिस प्रकार सदियों पहले योद्धा एवं राजा युद्ध भूमि में जाने से पहले अपने शरीर की सुरक्षा हेतु लौह कवच धारण करते थे ,ठीक उसी प्रकार हमारे ऋषि - मुनि भी अपने आपको सांसारिक कष्टों एवं दैहिक ,दैविक एवं भौतिक सभी प्रकार की व्याधियों से खुद को सुरक्षित रखने के लिए इन मान्त्रिक कवचों की रचना किया करते थे ,जो युगों -युगों से प्रत्येक मानव सभ्यता के लिए उपयोगी सिद्ध होते आयें है ।
इस अमोघ शिव कवच का नियमित पाठ करने वाले उपासक को अकाल मृत्यु , बीमारी ,कोर्ट कचहरी ,एवं भयानक से भी भयानक विपत्तियों का कोई असर नहीं होता, ऐसा मेरा खुद का अनुभव रहा है ।
इस कवच का पाठ करने वाले साधक के शरीर के आस - पास एक सुरक्षा घेरा सा बना रहता हैं जिससे किसी भी तरह की नकारात्मक शक्तियों का असर साधक या साधक के परिवार पर कदापि नहीं होता ।