ह्रदय रेखा हाँथ में उपस्थित सबसे पहली रेखा है जो उंगलियों को (बुध से ले कर गुरु पर्वत ) घेरे रहती है .हस्त रेखा में इस रेखा का महत्वपूर्ण स्थान होता है ,इस रेखा के द्वारा हम व्यक्ति के प्रेम की भावनाओं एवं उसकी उदारता का पता लगातें है,ये रेखा हमें ये बताती है की व्यक्ति के ह्रदय की प्रकृति कैसी है .व्यक्ति कठोर ह्रदय का है अथवा सरल ,व्यक्ति में महत्वाकांक्षा है कि नहीं आदि बातों को हम ह्रदय रेखा के माध्यम से पता लगातें हैं .इस रेखा का आरम्भ स्थान विभिन्न उँगलियों के नीचे से हो सकता है .मैं यहाँ पर आपको ह्रदय रेखा के कुछ तथ्यों कि जानकारी देता हूँ
1. जब ह्रदय रेखा बृहस्पति उंगली के बिलकुल बाहर से आरम्भ होती है तो व्यक्ति प्रेम में अच्छा या बुरा कुछ भी सोंचने में असमर्थ हो जाता है, व्यक्ति को अपने प्रेमी या प्रेमिका में कोई दोष नजर नहीं आता और वह उसकी पूजा करता है, ऐसे जातक अधिकांशतः प्रेम में धोखा खातें है या फिर अंधविश्वास में धोखा खाते है .
2. यदि ह्रदय रेखा बृहस्पति पर्वत के बीच से आरम्भ हो तो जातक के प्रेम में अन्धविश्वासी नहीं होते , ये जातक प्रेम में अपनी भावनाओं को काबू में रखतें हैं इस प्रकार की रेखा सर्वोत्तम समझी जाती है, ऐसे व्यक्ति प्रेम में दृढ़ और विश्वसनीय होते है,उनका चारित्रिक आचरण उच्च कोटि का होता है, वे महत्वाकांक्षी होते है, सज्जन होते है और जीवन में सफलता प्राप्त करते है, वेअपने स्तर से नीचे बहुत कम विवाह करते है और वे विवाह के बाद कम प्रेम सम्बन्ध स्थापित करते है, उनका प्रेम स्थायी होता है, वे दूसरेविवाह या तलाक में विश्वास नहीं करते .
3. यदि ह्रदय रेखा पहली या दूसरी अंगुली के बीच के स्थान से आरम्भ हो अर्थात गुरु और शनि पर्वत के मध्य से आरम्भ तो व्यक्ति प्रेम के मामलो में शांतियुक्त एवं गंभीर स्वभाव का होता है, इनमे बृहस्पति पर्वत का दिया हुआ आदर्श और महत्वकांक्षा तथा शनि पर्वत का दिया हुआ स्वार्थी स्वभाव दोनों मिश्रण होता है, यद्यपि वे अपने प्रेम के लिए बड़ा से बड़ा बलिदान कर सकते हैं , किन्तु वे अपने प्रेम का प्रदर्शन नहीं करते, वे प्रेम तो ह्रदय से करते है, किन्तु इतना नहीं कि अपने प्रेमी या प्रेमिका के लिएअपना सब कुछ बर्बाद कर लें.
.
4. यदि ह्रदय रेखा शनि पर्वत से आरम्भ हो तो जातक प्रेम के सम्बन्ध में स्वार्थी होते है, उनमें बलिदान करने का स्वभाव नहीं होता, वे चिडचिडे मिजाज के कम बोलने- चालने वाले होते है और अपने प्रेम का प्रदर्शन नहीं करते, वे हठी स्वभाव के होते है और जिस व्यक्ति को चाहते है उसे प्राप्त करके ही चैन लेते है , किन्तु एक बार जब वे उसको प्राप्त कर लेते है तो वे उसके प्रति उदासीन हो जाते है और पूर्ण निष्ठा नहीं निभाते है, उन्हें अपनी कमियां तो नहीं दिखाई देती, किन्तु उनके जीवन साथी, प्रेमी या प्रेमिका से कोई गलती हो जाये तो वे उसे क्षमा नहीं करते.
5. यदि ह्रदय रेखा बहुत लंबी अर्थात हथेली के एक किनारे से दूसरे किनारे तक पहुच जाये तो जातक अत्यंत ईर्ष्यालु स्वभाव का होता है, यह अवगुण अत्यधिक मात्रा में बढ़ जाता है, यदि मस्तिष्क रेखा बहुत झुकाव के साथ चंद्र की ओर मुड जाये, ऐसी स्थिति में ईर्ष्यालु स्वभाव प्रचुर मात्रा में आ जाती है और जातक निरर्थक कल्पनाओ के कारण अधिक ईर्ष्यालु बन जाता है .
6. यदि ह्रदय रेखा बृहस्पति क्षेत्र पर नीचे की ओर मुड जाये, तो जातक को अपने प्रेम और मैत्री संबंधो में अत्यंत निराशा का सामना करना पड़ता है, ऐसे व्यक्ति प्रेम के प्यासे होते है, उनमे यह समझाने की क्षमता नहीं होती कि उन्हें वास्तविक प्रेम कहाँ मिलेगा, ऐसा भी होता है कि जिसे वे प्रेम करते है, उससे प्रेम का प्रतिफल नहीं मिलता, किन्तु ये व्यक्ति स्नेहपूर्ण स्वभाव के तथा अत्यंत कृपालु होते है, अपने स्तर से नीचे तथा जाति के बाहर विवाह करने में भी उन्हें कोई आपत्ति नहीं होती .
7. यदि ह्रदय रेखा जंजीराकार हो या सूक्ष्म रेखाओं का एक समूह उसमे आकर मिलता हो तो यह योग इस बात का परिचायक है कि जातक दिल- फेंक तबीयत का है और उसके प्रेम में स्थिरता नाममात्र को भी नहीं है, वह उस भँवरे के सामान होता है जो विभिन्न स्वाद प्राप्त करने के लिए फूल- फूल पर मंडराया करता है .
8. यदि शनि क्षेत्र से आरम्भ होने वाली ह्रदय रेखा जंजीराकार हो और चौड़ी भी हो तो जातक विपरीत योनि से नफ़रत करता है, यदि यह रेखा पीले रंग की हो तो जातक के मन में प्रेम की भावना जन्म ही नहीं लेती .
9. यदि यह रेखा इतनी नीचे स्थित हो कि मस्तिष्क रेखा को स्पर्श करती- सी हो तो प्रेम की भावनाओ का मस्तिष्क पर अधिक अधिकार होगा, दूसरे शब्दों में, विचार शक्ति प्रेम कि भावनाओ से दब जायेगी .
10. यदि ह्रदय रेखा हाथ में अपने स्थान से ऊचाई पर स्थित हो और मस्तिष्क रेखा भी अपने स्थान से हटकर इस प्रकार ऊपर की ओर उठ गई हो कि दोनों रेखाओ के बीच फासला कम हो गया हो, तो मस्तिष्क रेखा ह्रदय रेखा पर अधिकार जमा लेती है जिसका फल यह होता है कि प्रेम भावनाएं विचार शक्ति से दब जाती है और जातक अपने प्रेम सम्बन्ध बहुत सोच– विचार कर स्थापित करता है .
11. ह्रदय रेखा पर शनि पर्वत के नीचे द्वीप हो, तो व्यक्ति अपने प्रणय संबंधो के कारण चर्चित होता है, उसका जीवन इस चर्चा से प्रभावित हुए बिना नहीं रहता, उसे अंदरूनी शारीरिक रोग भी परेशान कर सकते है , यदि ह्रदय रेखा व भाग्य रेखा दोनों पर एक- एक द्वीप हो, तो व्यक्ति किसी भी ऐसी मर्यादा को नहीं मानता जो उसके प्रणय संबंधो के आड़े आये .
12. ह्रदय रेखा पर सूर्य पर्वत के ठीक नीचे द्वीप हो, तो व्यक्ति को गंभीर नेत्र रोग होता है अथवा समय- समय पर नेत्र रोग उसे परेशान करता रहता है .
13. ह्रदय रेखा पर यदि सूर्य पर्वत के नीचे कोई बिंदु हो, तो व्यक्ति कि महत्वकांक्षाओ के लिए यह संकेत हानिकारक सिद्ध होता है, उसे किसी अपने विरह के कारण पीड़ा होती है, यदि ह्रदय रेखा पर बुध पर्वत के नीचे बिंदु हो, तो व्यक्ति मानसिक रोग से ग्रस्त रहता है.
14. ह्रदय रेखा से निकलकर चंद्र पर्वत पर जाने वाली शाखा के अंत में तारा हो, तो व्यक्ति वासना के कारण उन्मादी हो जाता है .
15. ह्रदय रेखा पर वृत्त व्यक्ति को निर्बल ह्रदय बनाये रखता है, ऐसा व्यक्ति किसी की दुःख तकलीफ अथवा परेशानी को देखकर करुणा से भर जाता है .
0 comments :
एक टिप्पणी भेजें
आप के सुझावों का स्वागत है