बुधवार, 26 फ़रवरी 2014

महाशिवरात्रि विशेष




शिवरात्रि का व्रत प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को किया जाता है मगर फाल्गुन मास को जो चतुर्दशी पड़ती है, उसकी अर्द्धरात्रि को 'महाशिवरात्रि' कहा जाता है। इस वर्ष यह पर्व 27 फरवरी की अर्द्धरात्रि को बृहस्पतिवार के दिन मनाया जा रहा है।

महाशिवरात्रि पर व्रत और जागरण करने का विधान है। उत्तरार्ध और कामिक के मतानुसार सूर्य के अस्त समय यदि चतुर्दशी हो, तो उस रात को 'शिवरात्रि' कहा जाता है। यह अत्यन्त फलदायक एवं शुभ होती है। आधी रात से पूर्व और आधी रात के उपरांत अगर चतुर्दशी युक्त न हो, तो व्रत धारण नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसे समय में व्रत करने से आयु और ऐश्वर्य की हानि होती है। माधव मत से 'ईशान संहिता' में वर्णित है कि जिस तिथि में आधी रात को चतुर्दशी की प्राप्ति होती है, उसी तिथि में मेरी प्रसन्नता से मनुष्य अपनी कामनाओं के लिए व्रत करें।


विधि-विधान
महाशिवरात्रि के दिन भक्ति भाव और श्रद्धा से शिव पूजन करें। अगर संभव हो तो किसी विशिष्ट ब्राह्मण से विधि-विधान से पूजन करवाएं। रुद्राभिषेक, रुदी पाठ, पंचाक्षर मंत्र का जाप आदि करवाना शुभ होता है। व्रतधारी को ब्रह्ममूर्हत में स्नानादि के उपरांत सारा दिन भगवान शिव का नाम जाप करना चाहिए। संध्या समय पुन: स्नान करके भस्म का त्रिपुंड और रुदाक्ष की माला धारण कर कच्चा दूध, गंगा जल, दही, चंदन, घृत, अक्षत,जनेऊ, लोंग, इलायची, सुपारी, धूप, पुष्पादि व अन्य पूजन सामग्री से शिव पूजन करें। रात्रि के पहले प्रहर में संकल्प करने के बाद दूध से स्नान तथा 'ओम हीं ईशानाय नम:' का जाप करें। द्वितीय प्रहर में दही स्नान करके 'ओम् हीं अधोराय नम:' का जाप करें। तृतीय प्रहर में घृत स्नान एवं मंत्र 'ओम हीं वामदेवाय नम:' तथा चतुर्थ प्रहर में मधु स्नान एवं 'ओम् हीं सद्योजाताय नम:' मंत्र का जाप करें।

अगर आप संपूर्ण विधि विधान से व्रत करने में सक्षम न हों तो रात्रि के आरंभ में तथा अर्द्धरात्रि में भगवान शिव का पूजन करके व्रत पूर्ण कर सकते हैं। इतना भी न कर सकें तो पूरे दिन व्रत करके सायंकाल में भगवान शंकर की यथाशक्ति पूजा-अर्चना करके भी व्रत को पूर्ण किया जा सकता है। शिवरात्रि का व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से जीवन में सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।

समस्त शास्त्रों के मतानुसार शिवरात्रि व्रत सबसे उत्तम है। शास्त्रों में इस व्रत को 'व्रतराज' कहा जाता है जो चारों पुरुषार्थों को देने वाला है। आप में क्षमता हो तो अपने पूरे जीवन काल तक इस व्रत को करें अन्यथा 14 वर्ष के उपरांत संपूर्ण विधि-विधान से इसका उद्यापन कर दें।
देवताओं में सबसे सहज प्रसन्न होने वाले तथा सबसे कृपालु देव है देवाधिदेव महादेव. भगवान शिव की आराधना में सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला मंत्र है शिव पंचाक्षरी मंत्र ।। ॐ नम: शिवाय।। इस मंत्र के विविध प्रकार के लाभ तथा प्रयोग है. कुछ प्रयोग आगे प्रस्तुत कर रहा हूं.

(1) शीघ्र विवाह हेतु:- शीघ्र विवाह हेतु इस मंत्र का जाप किया जाता है. विधान:- जप संख्या- 21000, जप माला रूद्राक्ष, जप सम प्रात: 4 से 9 के बीच, दिशा ईशान (पूर्व और उत्तर के बीच), वस्त्र / आसन- सफेद. जप पूरा हो जाने के बाद 2100 बार गाय के दूध में गंगा जल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें. एक बार मंत्र पढ़े. पढ़ने के बाद जल शिवलिंग पर चढ़ाएं. ऐसा कुल 2100 बार करना है. 2100 बार जल से अभिषेक करने के बाद 210 बार हवन सामग्री में शहद मिलाकर हवन करें. ।।ॐ नम: शिवाय स्वाहा।। इतना कहकर एक बार आग में हवन सामग्री डाले. ऐसा 210 बार करें. जब यह हो जाए तो पुन: 21 बार पंचाक्षरी मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं. सोमवार के दिन विधवा स्त्री या बूढ़े भिखारी को सफेद वस्त्र या वस्तु दान करें.

ग्रह बाधा निवारण:- नवग्रह बाधा के निवारण के लिए शिवरात्रि के दिन यह प्रयोग संपन्न करें. ।। ॐ नम: शिवाय।। इस मंत्र का 11000 जाप करें. जाप का विधान वस्त्र/ आसन- काला, माला रूद्राक्ष, संख्या 11000, समय रात्रि 9 से सुबह 4 के बीच, दिशा दक्षिण. जिस रात्रि जाप पूरा हो जाए उस रात्रि रूद्राक्ष माला को धारण करके सो जाए. प्रात: जब उठें तो बिना नहाए, बिना कुल्ला या मुंह धोए अपना काला वस्त्र तथा आसन हटा लें. उसमें रूद्राक्ष माला को लपेट दें. इसे पोटली बनाकर अपने सर से पांव तक 11 बार फेंर लें. फिर 11 बार पांव से सर तक फेर लें. अब भगवान शिव तथा नवग्रहों से कृपा की प्रार्थना करें. पोटली को 11 बार पंचाक्षरी मंत्र का जाप करते हुए सर से घूमा लें. इतना करने के बाद इस पोटली को निर्जन स्थान तालाब, नदी में छोड़कर बिना पीछे मुड़कर देखे वापस आ जाए. यदि पीछे से कोई आवाज दे तो भी पीछे मुड़कर न देखें. घर आने के बाद पानी में गंगाजल डाल स्रान कर लें तथा शिवलिंग, शिव मंदिर में एक गीला पानी वाला नारियल चढ़ा दें. भगवान शिव की कृपा से आपको अनकूलता प्राप्त होगी.

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