उपासना एवं तंत्र साधना में आप किस तरह की माला का प्रयोग करतें हैं, ये एक अहम् सवाल है क्योंकि बहुत से लोग कहतें हैं की उन्हें तो साधनाओं में प्रयुक्त होने वाली माला की जानकारी ही नहीं होती, बस जो भी माला हाँथ लग गयी मंत्र जप डाला . ये बिलकुल ही गलत तरीका है इसमें आप सिद्धि से तो वंचित ही रहतें हैं जप दोष लगता है वो अलग . साधनाओं में विशेषतः हिन्दू साधनाओं में 3 प्रकार की माला ही प्रचलित है जिनमे प्रमुख हैं
1- मणि माला . अर्थात जिस माला में मनके हो
2- कर माला - अर्थात उँगलियों के पोरों पर जप करना
3-वर्ण माला - अर्थात संख्याओं को लिख कर जप करना
परन्तु इन सबमे सबसे प्रमुख मणि माला ही मानी गयी है ,क्योंकि मणि माला पर किया गया कोई भी जप न सिर्फ फल देता है अपितु साधक को एकाग्र भी रखता है .
1-माला लेते समय पहले ये बात ध्यान देनी चाहिए कि माला के मनके उचित दूरी एवं क्रम में होने चाहिए 2-,साधनाओं में प्रयुक्त होने वाली माला १०८ मनको की होनी चाहिए. या फिर 9 अंको के अनुपात में होनी चाहिए .
3- मनके टूटे अथवा कटे या चटके हुए नहीं होने चाहिए .
4- जप माला में जो सबसे पहला मनका होता है उसे सुमेरु कहतें हैं ,मंत्र का आरम्भ एवं समाप्ति इसे से ही होती है ,अतः सुमेरु बंध ठीक से लगा होना चाहिये.
अब मै कुछ मालाओं के प्रकार दे रहा हूँ जिन्हें आप अपनी सुविधा एवं आवश्यकता के अनुसार चयन कर सकतें है .
माला फेरते समय निम्न सावधानियां बरतनी आवश्यक हैं -
1-माला सदा दाहिने हाथ में रखनी चाहिए
2-माला भूमि पर नहीं गिरनी चाहिए , उस पर धूल नहीं जमनी चाहिए.
3-माला अंगूठे , मध्यमा व अनामिका से फेरना ठीक है ,दूसरी उंगली यानी तर्जनी से भूलकर भी माला नहीं फेरनी चाहिए एवं मनकों पर नाखून नहीं लगने चाहिए.
1-रुद्राक्ष की माला - रुद्राक्ष की माला ही एक ऐसी माला है जिसमे आप किसी भी तरह के मन्त्रों का जप एवं अनुष्ठान कर सकते हैं .शिव ,काली ,भैरव एवं समस्त अघोर एवं सात्विक साधनाएं इस माला से संपन्न की जा सकती हैं
2-कमल गट्टे की माला- इस माला का उपयोग देवी लक्ष्मी की आराधना के लिए किया जाता है,माना जाता है कि अपने प्रिय पुष्प की बीज से निर्मित माला से लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से देवी लक्ष्मी जल्द प्रसन्न होती हैं और साधक को धन-धान्य, ऐश्वर्य से संपन्न करती हैं,
1- मणि माला . अर्थात जिस माला में मनके हो
2- कर माला - अर्थात उँगलियों के पोरों पर जप करना
3-वर्ण माला - अर्थात संख्याओं को लिख कर जप करना
परन्तु इन सबमे सबसे प्रमुख मणि माला ही मानी गयी है ,क्योंकि मणि माला पर किया गया कोई भी जप न सिर्फ फल देता है अपितु साधक को एकाग्र भी रखता है .
1-माला लेते समय पहले ये बात ध्यान देनी चाहिए कि माला के मनके उचित दूरी एवं क्रम में होने चाहिए 2-,साधनाओं में प्रयुक्त होने वाली माला १०८ मनको की होनी चाहिए. या फिर 9 अंको के अनुपात में होनी चाहिए .
3- मनके टूटे अथवा कटे या चटके हुए नहीं होने चाहिए .
4- जप माला में जो सबसे पहला मनका होता है उसे सुमेरु कहतें हैं ,मंत्र का आरम्भ एवं समाप्ति इसे से ही होती है ,अतः सुमेरु बंध ठीक से लगा होना चाहिये.
अब मै कुछ मालाओं के प्रकार दे रहा हूँ जिन्हें आप अपनी सुविधा एवं आवश्यकता के अनुसार चयन कर सकतें है .
माला फेरते समय निम्न सावधानियां बरतनी आवश्यक हैं -
1-माला सदा दाहिने हाथ में रखनी चाहिए
2-माला भूमि पर नहीं गिरनी चाहिए , उस पर धूल नहीं जमनी चाहिए.
3-माला अंगूठे , मध्यमा व अनामिका से फेरना ठीक है ,दूसरी उंगली यानी तर्जनी से भूलकर भी माला नहीं फेरनी चाहिए एवं मनकों पर नाखून नहीं लगने चाहिए.
1-रुद्राक्ष की माला - रुद्राक्ष की माला ही एक ऐसी माला है जिसमे आप किसी भी तरह के मन्त्रों का जप एवं अनुष्ठान कर सकते हैं .शिव ,काली ,भैरव एवं समस्त अघोर एवं सात्विक साधनाएं इस माला से संपन्न की जा सकती हैं
2-कमल गट्टे की माला- इस माला का उपयोग देवी लक्ष्मी की आराधना के लिए किया जाता है,माना जाता है कि अपने प्रिय पुष्प की बीज से निर्मित माला से लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से देवी लक्ष्मी जल्द प्रसन्न होती हैं और साधक को धन-धान्य, ऐश्वर्य से संपन्न करती हैं,
हल्दी की माला-
इस माला का उपयोग विशेष प्रार्थना या अनुष्ठान, शत्रुओं के नाश, मुकदमों
में विजय आदि की प्राप्ति के लिए किया जाता है. कहा जाता है कि इस माला को
धारण करने से पीलिया रोगों की पीड़ा कम होती है साथ ही इसे धारण करने से
मानसिक शांति मिलती है और चिंता व तनाव दूर होते हैं.
चंदन की माला-चंदन
की माला लाल और सफेद रंग में मिलती हैं, सफेद चंदन की माला का उपयोग भगवान
राम और विष्णु की स्तुति के लिए किया जाता है. चंदन के हार का उपयोग
स्वागत के लिए भी किया जाता है.लाल चंदन की माला भगवान गणेश और देवियों की
पूजा में उपयोग होती है.
तुलसी की माला-
तुलसी की माला भगवान विष्णु, राम और श्रीकृष्ण की पूजा के लिए उपयोग होती
है. आयुर्वेद के मुताबिक, इस माला को धारण करना गले संबंधी तकलीफों के
निवारण और शरीर के शुद्धिकरण में मदद करता है.
वैजयंती की माला-वैजयंती के सफेद मनकों से बनी इस माला का उपयोग वशीकरण और देवी की सिद्धि
के लिए किया जाता है,भगवान विष्णु के उपासक मां लक्ष्मी की आराधना के लिए
भी इसका उपयोग करते हैं.
मूंगे की माला-इस
माला का उपयोग गणेश, हनुमान, लक्ष्मी और मंगल ग्रह की साधना के लिए
किया जाता है.जिन लोगों को एनीमिया की शिकायत है, उनके लिए भी यह लाभदायक
है.
आगे की पोस्ट में मै कुछ और भी मालाओं का विवरण दूंगा जिनसे आप विभिन्न साधनाओं में प्रयुक्त होने वाली माला के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे
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