सबसे पवित्र एवं सभी कामनाओं को पूरा करने वाला महीना अर्थात सावन के महीने की शुरुआत हो चुकी है. हर तरफ भगवान् शिव के जय- जयकारों से समस्त दिशाएँ उद्घोषित हो रहीं हैं तो चलिए हम और आप भी शामिल हो जातें हैं इस पवित्र उद्घोष में.
मैंने अपनी पिछली पोस्ट में भगवान् शिव की महिमा के बारे में जो थोड़ा बहुत ज्ञान था वो मैंने बताया था .आज की पोस्ट भी शीघ्र फलदायी शिव मंत्रो को ले कर है .
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
जटाकटाहसंभ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी-
धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर
जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर
ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा-
करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्-
प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा-
अखर्व(अगर्व)सर्वमङ्गलाकलाकदंबमञ्जरी
जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस-
मैंने अपनी पिछली पोस्ट में भगवान् शिव की महिमा के बारे में जो थोड़ा बहुत ज्ञान था वो मैंने बताया था .आज की पोस्ट भी शीघ्र फलदायी शिव मंत्रो को ले कर है .
हम सभी सदैव उन मन्त्रों के बारे में अथवा देव उपासना के बारे में जानने को उत्सुक रहते हैं जिनसे की हमारी कामना पूरी हो जाये या फिर जीवन की मुश्किलों को समाप्त कर जीवन की राह आसान कर दे तो सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा कि भगवान् शिव और इनके मन्त्रों में वो प्रत्यक्ष शक्ति है जो उपासक की सभी समस्याओं को हल कर सकती है .इनके किसी भी मंत्र का जप चाहे वो ॐ नमः शिवाय हो या फिर रुद्राभिषेक जैसा अनुष्ठान सभी अपना पूर्ण प्रभाव व असर दिखातें हैं .जीवन में चाहे जैसी भी नकारात्मक सोंच अथवा शक्ति हो शिव पंचाक्षरी मन्त्र का जप करने से व्यक्ति की निगेटिविटी दूर होती ही है तथा एकाग्रता भी जागृत होती है.
शिव तांडव स्त्रोतम - शिव जी के इस स्त्रोत की रचना महान विद्वान् एवं परं शिव भक्त रावण ने की थी .कहा जाता है की एक बार रावण ने शिव जी को लंका में स्थापित करने के उद्देश्य से सम्पूर्ण कैलास पर्वत ही उठा लिया था किन्तु शिव जी ने रावण को रोंकने के लिए अपने पैर के अंगूठे से पर्वत को दबाया तो कैलास पर्वत फिर अपनी जगह पर स्थापित हो गया .किन्तु इस दबाव की वजह से रावण का हाँथ भी पर्वत के नीचे दब गया और रावण घोर आर्तनाद करने लगा एवं शिव जी की स्तुति करने लगा जो शिव तांडव स्त्रोत के नाम से जाना जाता है . इसका प्रतिदिन विश्वास पूर्वक पाठ करने से समस्त राजसी वैभव एवं लक्ष्मी कृपा उपासक पर सदैव बनी रहती है .इसका पाठ करने वाला वाकयुद्ध में कभी पराजित नहीं हो सकता ,कहते हैं की इससे गूंगे को भी कंठ मिलता है .इस मंत्र से नृत्य, चित्रकला, लेखन, युद्धकला, समाधि, ध्यान आदि कार्यो में भी सिद्धि मिलती है .
तो आने वाले सावन के सोमवार से आप भी इसका उच्च स्वर में पाठ करें एवं शिव कृपा का लाभ उठायें .
श्री शिव ताण्डव स्तोत्रम्
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