यदि किसी जातक के बायें हाथ में मस्तिष्क रेखा बिल्कुल हल्की या क्षीण हो और दाहिने हाथ में बलवान और स्पष्ट हो तो यह समझना चाहिए कि जातक की मानसिक प्रवृतियों के विकास में उसके माता-पिता किसी का भी प्रभाव नहीं पड़ रहा है, और स्वंय ही उसने उनको विकसित किया है, ऐसा योग उन लोगो के हाथो में पाया जाता है जो स्वयं अपने परिश्रम से अपनी उन्नति करते है
यदि दाहिने हाथ में मस्तिष्क रेखा बायें हाथ के मुकाबले क्षीण या निर्बल हो, तो यह समझना चाहिए कि जातक ने अपने मानसिक विकास के अवसरों से लाभ नहीं उठाया और वह अपने माता-पिता कि मानसिक क्षमता की बराबरी न तो करता है, न कभी कर सकता है, ऐसा व्यक्ति चाहे स्वभाव से हठी क्यों न हो, किन्तु उसमे इच्छा- शक्ति की कमी होती है, वह हठी होगा या नहीं,यह अगूठे के प्रथम पर्व(जिस पर नाखून स्थित होता है ) की बनावट से जाना जा सकता है .अगर नाखून का प्रथम पर्व अपने सामान्य की अपेक्षा बड़े आकार में होगा तो हठ एवं जिद्दीपन की प्रवत्ति जातक में विशेष रूप से पायी जाती है
अब हम यह बतायेगें कि मस्तिष्क रेखा का आरम्भ किस- किस प्रकार से होता है और उसका क्या प्रभाव पड़ता है, उदहारण के लिए मस्तिष्क रेखा तीन प्रकार से आरम्भ हो सकती है -
- जीवन रेखा के अंदर से,
- जीवन रेखा से जुड़कर,
- जीवन रेखा के बाहर से
जीवन रेखा से जुड़ कर निकली मस्तिष्क रेखा
जब किसी हाथ में मस्तिष्क रेखा आरम्भ में जीवन रेखा से जुडी हुई होती है तो जातक अत्यंत भावुक होता है, जब इस प्रकार कि रेखा नीचे कि ओ़र मुड जाये तो भावुकता और भी अधिक बढ़ जाती है, रेखा कि ऐसी बनावट अधिकतर कलाकारों और चित्रकारों के हाथो में पाई जाती है, इसके विपरीत यदि जीवन रेखा से मिली हुई मस्तिष्क रेखा सीधी दूसरे मंगल क्षेत्र कि ओर जाये तो भावुक होते हुए भी अपनी मान्यताओं पर चलने का साहस रखता है
जीवन रेखा के बाहर से निकली मस्तिष्क रेखा
यदि किसी जातक में मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा के बाहर से निकली हों किन्तु इस रेखा का फासला जीवन रेखा से अधिक दूर न हों तो यह एक अच्छा योग माना जाता है यदि इस रेखा से एक शाखा बृहस्पति पर्वत से आरम्भ हों तो इस प्रकार कि रेखा का स्वामी महत्वाकांक्षी होता है
मस्तिष्क रेखा पर द्वीप का प्रभाव
- मस्तिष्क रेखा पर द्वीपों के प्रभाव का विचार करते समय यह भी देखना आवश्यक है कि द्वीप किस अंगुली के नीचे पड़तें हैं यदि द्वीप रेखा के आरम्भ पर प्रथम उंगली या बृहस्पति क्षेत्र के नीचे हों तो यह प्रगट होता है कि जातक अपने जीवन के आरम्भिक भाग में मानसिक और बौद्धिक निर्बलता का शिकार रहा होगा, इसमें इच्छा शक्ति और महत्वाकांक्षा कि बहुत कमी रही होगी .
- यदि द्वीप चिन्ह दूसरी अंगुली या शनि के क्षेत्र के नीचे हों तो जातक सिर-दर्द, उदासीनता, चिंताकुलता का शिकार हों सकता है, यदि रेखा निर्बल हों और उसमे से सूक्ष्म रेखाए निकलती हों तो यह समझाना चाहिए कि जातक मानसिक विकृति से कभी भी मुक्ति प्राप्त न कर सकेगा.
- यदि द्वीप चिन्ह तीसरी अंगुली या सूर्य क्षेत्र के नीचे हों तो यह समझाना चाहिए कि आँखों में कमजोरी होगी , यदि द्वीप चिन्ह बहुत गहरा हों तो जातक अंधा हों सकता है.
- यदि द्वीप चिन्ह चौथी अंगुली या बुध क्षेत्र के नीचे हों तो यह समझाना चाहिए कि वृद्धावस्था में जातक मस्तिष्क की व्याकुलता अथवा चिंता का शिकार होगा
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